विन्देश्वरी स्त्रोतम Vindeshwari Stotram Lyrics
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी बनेरणे प्रकाशिनी भजामि विन्ध्यवासिनी त्रिशूल मुण्ड धारिणी धरा विघात हारिणी गृहे-गृहे निवासिनी भजामि विन्ध्यवासिनी दरिद्र दुःख हारिणी सदा विभूति कारिणी वियोग …