padharo shabari ke mehman

पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो लिरिक्स (हिन्दी) -Padharo shabari ke mehman shabri ke mehman


पधारों शबरी के मेहमान शबरी के मेहमान पधारो,
बिना प्रेम दुर्योधन की ग्रह छोड़ चले पकवान,
रूखे साग विदुर घर खायो प्रेम सहित सुख मान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
शबरी के मेहमान पधारों…..

द्रुपद सुता की लाज बचाई मध्य सभा में आय,
खींचत चीर दुशासन हारा चूर कियो अभिमान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
शबरी के मेहमान पधारों…….

जल डूबत गजराज उबारे तात शब्द सुन कान,
सारथि बन अर्जुन रथ हाक्यों समर भूमि मैदान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
शबरी के मेहमान पधारों………

गणिका गिद्ध अजामिल पापी तारे अधम महान,
भिक्षु अति है शरण तुम्हारी मीरा के भगवान,
पधारो शबरी के भगवान पधारों, शबरी के मेहमान,
शबरी के मेहमान पधारों…….

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