महाकाल मंदिर,उज्जैन हिंदू धर्म में क्यों महत्वपूर्ण है?

आकाशे तारकं लिंगम, पाताले हाटकेश्वरम !
भूलोके च महाकाल, लिंगत्रय नमोस्तुते !!
अर्थात :आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग तथा पृथ्वी पर महाकालेश्वर ही मान्य ज्योतिर्लिंग है।
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थल हैं, जिन्हें शिव की अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है। इनमें महाकालेश्वर  के अलावा, गुजरात के सोमनाथ और नागेश्वर, आंध्र प्रदेश के मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश के ओमकारेश्वर, उत्तराखंड के केदारनाथ, महाराष्ट्र के भीमाशंकर, त्र्यंबकेश्वर और गृष्णेश्वर, वाराणसी में विश्वनाथ, झारखंड के बैद्यनाथ और तमिलनाडु के रामेश्वर शामिल हैं।

      भारत के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक,  महाकाल एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो कि दक्षिणमुखी है  जबकि सभी अन्य ज्योतिर्लिंग पूर्व की ओर मुख करते हैं। यह इसलिए है क्योंकि मृत्यु की दिशा दक्षिण मानी जाती है। वास्तव में, लोग असमय मृत्यु से बचने के लिए महाकालेश्वर की पूजा करते हैं।मान्यता है की महाकाल मंदिर में शिव लिंग स्वयं भू है, इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है
विश्व भर में कालगणना की नगरी कहे जाने वाली उज्जैन में मान्यता है की भगवान महाकाल ही समय को लगातार चलाते है और कालभैरव काल का नाश करते है

महाकाल मंदिर उज्जैन , हिंदू धर्म में क्यों महत्वपूर्ण

 

महाभारत, स्कन्द पुराण, वराहपुराण, नृसिंहपुराण, शिवपुराण, भागवत्, शिवलीलामृत आदि ग्रन्थों में तथा कथासरित्सागर, राजतरंगिणी, कादम्बरी, मेघदूत, रघुवंशम् आदि काव्यों में भी महाकाल मंदिर का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया  गया है।

महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास क्या है ?

उज्जैन तीर्थ भूमि मध्यप्रदेश में स्थित है। उज्जैन की शिप्रा नदी के तट पर सिंहस्थ कुंभ मेला हर 12 वर्ष के उपरांत मनाया जाता है , माना जाता है कि उज्जैन पांच हजार साल पुराना नगर है। इसे अवंती, अवंतिका, उज्जयिनी, विशाला, नंदिनी, अमरावती, पद्मावती, प्रतिकल्पा, कुशस्थली जैसे नामों से जाना जाता है।

सन 1235 में महाकालेश्वर मंदिर को दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। महाकाल ज्योतिर्लिंग को आक्रांताओं से सुरक्षित रखने लिए यहाँ के पुजारियों ने पास ही के एक कुएं (कोटितीर्थ कुंड ) में छुपाकर रख दिया था और करीब 550 वर्षों तक शिवलिंग इसी कुंड में स्थित था

इस घटना के लगभग 550 बर्ष के बाद जब उज्जैन पर राणोजी राव सिंदे का अधिकार हुआ , इसके बाद उज्जैन का खोया हुआ गौरव पुनः लौटा उन्होंने मंदिर को 1732 में फिर से बनवाया और उस कुंड में पड़े शिवलिंग को बाहर निकलवाया, सिंहस्थ पर्व फिर से शुरु किया

महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास क्या है ?
कोटितीर्थ ( इसी कुंड में शिवलिंग को 550 वर्षो तक रखा गया था)

 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुयी ?

इस ज्योर्लिंग का उल्लेख शिवपुराण के कोटि रूद्र संहिता के 16 वे अध्याय में शूत जी महराज द्वारा किया गया है

        कथा के अनुसार अवंतीनगरी जिसे आजकल हम उज्जैन के नाम से जानते है वहां पर वेदप्रिय नामक ब्राह्मण रहा करते थे वे अपने घर में अग्नि की स्थापना कर प्रतिदिन पार्थिव शिव लिंग बना कर शास्त्र बिधि से भगवान शिव की पूजा किया करते थे

उन ब्राह्मण के चार पुत्र थे जिनके नाम थे देवप्रिय , प्रियमेधा ,संस्कृत और सुवृत वे सभी तेजश्वी और अपने  माता पिता के सद्गुणों के अनुरूप थे

उन्ही दिनों रतनमाल पर्वत पर दूषण नमक दैत्य ने ब्रह्मा जी से तपश्या करके अजेय होने का वरदान मांग लिया , वरदान के अभिमान में उसने लोगो पर अत्याचार आरंभ कर दिया , उसने उज्जैन में भारी सेना लेकर उन कर्तव्यनिष्ठ ब्राह्मणों पर भी आक्रमण कर दिया . उस दूषण की आज्ञा से उसके चार असुर चारो दिशायो में फ़ैल गये और उपद्रव करने लगे .उनके भयंकर उपद्रव से भी शिवजी पर विश्वाश करने वाले वे ब्राह्मण थोड़े भी भयभीत नही हुए . उसके बाद वे ब्राह्मण बन्धु शिव जी पूजन करने लगे . तब अपने असुरो के साथ दूषण जैसे ही ब्राह्मण पुत्रो को मारने चला वैसे ही उनके द्वारा पूजित उस पार्थिव शिव लिंग की जगह तेज आवाज के साथ एक खड्ढा प्रकट हो गया और उस खड्डे से विकट और भयंकर रूपधारी  भगवान शिव प्रकट हुए , और दुष्टों से कहा कि तुम जैसे दुष्टो का संहार करने के लिए ही मैं महाकाल के रूप में प्रकट हुआ हु , और अपने हुंकार मात्र से ही उन दैत्यों को भस्म कर डाला, यह देख दूषण की सेना भाग खड़ी हुई, इस प्रकार भगवान शिव ने दूषण नामक दैत्य का वध कर दिया , उसके बाद उन ब्राह्मणों से भगवान महाकाल ने कहा की मैं तुमसे प्रसन्न हूँ  , तुम मुझसे वर मांगो . तब उन ब्राह्मणों ने कहा की आप हमे मोक्ष प्रदान करे और भक्तो के कल्याण के लिए यही बिराजिये

भगवान शिव अपने भक्तो की सुरक्षा के लिए उस खड्डे में शिवलिंग रूप में स्थित हो गये और उस खड्डे की चारो तरफ की लगभग 1 -1 कोस भूमि लिंग रुपी भगवान शिव की स्थली बन गयी ऐसे भगवान शिव महाकालेश्वर के रूप में प्रशिद्ध हुए

 

महाकालेश्वर मंदिर में दिन में आरती कितने बार होती है

मंदिर में कुल 5 बार आरती होती है,

भस्म आरती          : सुबह 4 बजे
बाल भोग आरती   : 7 बजे से 7.45 तक ( शीत ऋतू में 7.30 से 8.15 बजे तक )
नैवेद्य आरती         : 10 बजे से 10.45 तक (शीत ऋतू में 10.30 से 11.15 बजे तक )
संध्या आरती         : शाम 7 बजे से 7.45 तक (शीत ऋतू में 6.30 से 7.15 बजे तक)
शयन आरती         : रात 10.30 बजे

इन सभी आरती में भस्म आरती का बिशेष महत्त्व है ,तो आईये हम आपको बताते है की महाकाल का दर्शन कैसे कर सकते है ,

 

महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन कैसे करे ?.

यदि आप जानना चाहते हैं महाकाल के दर्शन कैसे करें तो वहां के नियम जानना बेहद आवश्यक है क्योंकि प्रतिदिन  लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठा होती है । इससे संभव नहीं होता एक लाइन में खड़े होकर सब लोग दर्शन कर पाए इसीलिए यहां 4 अलग-अलग दर्शन के नियम बनाए गए है जिन्हें आप फॉलो करते हैं तो आसानी से महाकाल के दर्शन और भस्म आरती दर्शन में शामिल हो सकते है

    1. फ्री दर्शन
    2. ₹250 वाला
    3. ₹1500 वाला दर्शन
    4. भस्म आरती दर्शन
1.महाकाल का फ्री दर्शन कैसे करें ?

फ्री शब्द से ही पता चल गया होगा कि बिना शुल्क के दर्शन होता है इसमें श्रद्धालुओं को लंबी लाइन से गुजरना होता है जिसमें लगभग 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है और इसमें भक्तों को शिव लिंग के दूर से ही लगातार बढ़ती हुई लाइन के साथ दर्शन कराने का प्रावधान है।

 2. ₹250 वाला ( शीघ्र दर्शन)कैसे होता है ?

₹250 वाले दर्शन ( शीघ्र दर्शन ) में भक्तों को अलग से दूसरे गेट से अंदर ले जाया जाता है जिसमें भीड़ कम होती है जहां पर आपका नंबर जल्दी आ जाता है। इस लाईन में भी बाबा का दर्शन दूर से ही होता है

        250 का शीघ्र दर्शन का पास कैसे बुक करे ?

निचे दिए गये लिंक से आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है बुकिंग के समय आपके पास आधार कार्ड की कॉपी और फोटो होना अनिवार्य है ,

शीघ्र दर्शन 👉: https://shrimahakaleshwar.com/sheeghra-darshan

3. ₹1500 वाला ( गर्भगृह दर्शन ) कैसे होता है ?

गर्भ गृह दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है इसे 1 दिन पहले करना होता है 1500 के पास में 2 लोग दर्शन करते है गर्भगृह दर्शन में महाकालेश्वर ज्योर्लिंग के के गर्भगृह में ज्योतिर्लिंग को स्पर्श करके दर्शन कर सकते है

         1500 का गर्भ गृह दर्शन पास कैसे बुक करे ?

निचे दिए गये लिंक से आप ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है बुकिंग के समय आपके पास आधार कार्ड की कॉपी और फोटो होना अनिवार्य है ,

गर्भगृह दर्शन 👉: https://shrimahakaleshwar.com/garbh-graha-darshan

गर्भगृह के दर्शन के लिए ड्रेसकोड

ड्रेस कोड के अनुसार पुरुषों को धोती, सोला, बनियान, उपवस्त्र और महिला को साड़ी पहनना अनिवार्य है।श्रद्धालु इस दौरान मोजे, चमड़े के पर्स व बेल्ट, हथियार और मोबाइल गर्भगृह में नहीं ले जा सकते, इस पर पूर्ण प्रतिबंध है

 

4. भस्म आरती

भस्म आरती क्या है ?
बाबा की भस्म आरती

इन सब दर्शन में भस्म आरती दर्शन का अलग ही महत्व है , भस्म आरती को मंगला आरती भी कहते है ,भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है इसलिए आरती सुबह 4 बजे की जाती है. भस्मआरती में बाबा हर रोज निराकार से साकार रूप धारण करते है. बाबा भस्म को संसार को नाशवान होने का संदेश देने के लिए लगाते है नाशवान का संदेश देने के लिए बाबा ताजी भस्म शरीर पर धारण करते है ऐसी मान्यता है कि पहले बाबा की भस्म आरती चिता से लायी ताजी भस्म से होती थी परन्तु वर्तमान समय में महाकाल की भस्‍म आरती में कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़‌ियों को जलाकर तैयार क‌िए गए भस्‍म का इस्तेमाल क‌िया जाता है

भस्म आरती की बुकिंग कैसे करे ?

मंदिर प्रशासन अत्यधिक भीड़ से बचने के लिए भस्म आरती में सिर्फ उन्ही लोगो  को अनुमति देता जिन्होंने ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड़ से पंजीकृत किया हो
महाकाल मंदिर में होने वाली भस्म आरती में शामिल होने के लिए आपके पास दो विकल्प है
    1. ऑफ़-लाइन बुकिंग
    2. ऑनलाइन बुकिंग

ऑफलाइन माध्यम से महाकाल की भस्म आरती की बुकिंग कैसे करे (Offline Booking for Mahakal Bhasma Aarti)

भस्म आरती का काउन्टर मंदिर परिसर  में ही बना हुआ है यहाँ आप सबसे पहले अपना आधार कार्ड दिखाकर फॉर्म ले लीजिये जो आपको 10:30 बजे से मिलता है अब इस फॉर्म को भरकर और इस फॉर्म के साथ आई-डी प्रूफ की फोटोकॉपी लगाकर भस्म आरती काउन्टर पर जमा करना होता है

महाकाल की भस्म आरती की ऑफलाइन बुकिंग आप सुबह 10 बजे से शाम 3 बजे के मध्य करा सकते है , वर्तमान में नंदी हाल से सिर्फ 100 व्यक्तियों को और बेरीकेट्स से सिर्फ 500 व्यक्तियों को दर्शन की अनुमति है |

अगर आपको भस्म आरती की स्वीकृति मिल गई है तो आपको शाम को लगभग 7 बजे एक मैसेज प्राप्त होगा अब आपको फिर अपना आधार कार्ड या जो आई डी लगे हो उसका ओरिजिनल ले जाये और अपना मेसेज दिखाए अब आपको भस्म आरती काउंटर से एक टोकन मिल जायेगा,अब  सुबह जल्दी ही आपको आरती के लिए पहुचना है रात के करीब 2 बजे महाकाल की भस्म आरती के लिए मंदिर का गेट खोल दिया जाता है और 4 बजे से आरती प्रारंभ हो जाती है

 

महाकालेश्वर भस्म आरती ऑनलाइन बुकिंग कैसे करे –( Online Booking for Bhasma Aarti )

महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती बुक करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें

  • सबसे पहले, मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट https://shrimahakaleshwar.com/ पर जाएं।
  • वेबसाइट के होम पेज पर, “Booking+” बटन पर क्लिक करें।
  • अब, “bhasm Aarti Booking” पेज पर पहुंच जाएंगे।
  • अब, आपको भस्म आरती के लिए उपलब्ध दिन और समय का चयन करना होगा
  • इस पेज पर, आपको अपना नाम, ईमेल आईडी, फोन नंबर, और अन्य आवश्यक विवरण दर्ज करने के लिए कहा जाएगा।
  • उपलब्धता की जांच करने के बाद, आपको अपनी बुकिंग की पुष्टि करने के लिए आगे बढ़ना होगा।
  • अब, आपको भस्म आरती की बुकिंग के लिए राशि का भुगतान करना होगा।
  • आपकी बुकिंग की पुष्टि होने के बाद, आपको एक ईमेल प्राप्त होगा जिसमें आपकी बुकिंग की जानकारी होगी।
  • इस तरह से, आप महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।

भस्म आरती के नियम

यहां इस भस्म आरती में शामिल होने के लिए महिलाओं को साड़ी पहनना जरूरी होता है. भस्म आरती में शामिल होने के लिए सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि पुरुषों के लिए भी कुछ नियम हैं. पुरुषों को इस आरती में शामिल होने के समय सिर्फ सूती कपड़े की साफ-सुथरी धोती पहननी होती है 

भस्म आरती कब से और क्यों की जाती है ?

          प्राचीन मान्यताओं के अनुसार दूषण नाम के एक राक्षस की वजह से अवंतिका में आतंक था। नगरवासियों के प्रार्थना पर भगवान शिव ने उसको भस्म कर दिया और उसकी राख से ही अपना श्रृंगार किया। तत्पश्चात गांव वालों के आग्रह पर शिवजी वहीं महाकाल के रूप में बस गए। इसी वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्‍वर रख दिया गया और शिवलिंग की भस्‍म से आरती की जाने लगी।

             एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक मुर्दे की राख से भस्म आरती की जाती थी परंतु एक बार उज्जैन के शमशान में कोई भी चिता नहीं मिलने के कारण उस समय एक पुजारी ने अपने ही पुत्र की बलि देकर उसकी राख से भस्म आरती की थी जिससे भगवान महाकालेश्वर बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने उस पुजारी के पुत्र को जीवन दान देते हुए कहा आज से कपिला गाय के गोबर से बने उपलों से मेरी भस्म आरती की जाएगी इसके बाद से ही यहां पर कपिला गाय के गोबर से बने उपलों से ही भस्म आरती की जाने लगी

 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे | How To Reach Mahakaleshwar Jyotirlinga In Hindi.

हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (53 किमी) है। यहाँ मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, ग्वालियर और लगभग सभी राज्य की राजधानी से उड़ाने उपलब्ध है , इंदौर से उज्जैन की दूरी 1 से 1.15 घंटे की है जिसे आप आसानी से कैब से पूरी कर सकते है ,

रेलवे: उज्जैन पश्चिम रेलवे जोन का एक रेलवे स्टेशन है। यहाँ का UJN कोड है । यहाँ से कई बड़े शहरों के लिए ट्रेन उपलब्ध हैं। उज्जैन सीधे अहमदाबाद, राजकोट, मुंबई, फौजाबाद, लखनऊ, देहरादून, दिल्ली, बनारस, कोचीन, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, जयपुर, हावड़ा और कई अन्य रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन की दूरी लगभग 2 किमी है यहाँ से आप ₹15 -₹20 किराया देकर आसानी से मंदिर में पहुच सकते है
सड़क मार्ग: नियमित बस सेवाएं उज्जैन को इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, मांडू, धार, कोटा और ओंकारेश्वर आदि से जोड़ती हैं। अच्छी सड़कें उज्जैन को अहमदाबाद (402 किलोमीटर), भोपाल (183 किलोमीटर), मुंबई (655 किलोमीटर), दिल्ली से जोड़ती हैं। (774 किलोमीटर), ग्वालियर (451 किलोमीटर), इंदौर (53 किलोमीटर) और खजुराहो (570 किलोमीटर) आदि।

 

उज्जैन में अन्य घुमने वाली जगह कौन -कौन सी है

अगर आप उज्जैन जाते है तो निचे दिए गये जगह पर भी अवश्य जाना चाहिए
  • काल-भैरव
  • हरसिद्धि
  • संदीपनी अजीज
  • चिंतामणि गणेश
  • त्रिवेणी नवग्रह
  • मंगलनाथ
  • सिद्धवथ
  • गोपाल मंदिर
  • वेदशाला

🙏जय महाकाल 🙏

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।

 

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