नाम हरि का हृदय से ना भूलो,
ये भुलाने के काबिल नही है,
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला है,
ये गंवाने के काबिल नही है।।
चोला अनमोल तेरा सिला है,
जिसमे जीवन का फूल खिला है,
स्वांस गिन गिन के तुझको मिला है,
ये गंवाने के काबिल नही है,
नाम हरी का हृदय से ना भूलो,
ये भुलाने के काबिल नही है,
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला है,
ये गंवाने के काबिल नही है।।
इतने अनमोल जीवन को पाकर,
खोज अपनी ना की मन लगाकर,
वो तो भगवान के पास जाकर,
मुँह दिखाने के काबिल नही है,
नाम हरी का हृदय से ना भूलो,
ये भुलाने के काबिल नही है,
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला है
ये गंवाने के काबिल नही है।।
तूने नर तन भी पाके क्या कीता,
ना पढ़ी ना सुनी भगवत गीता,
साधु संयासी बन मन ना जीता,
वो संत कहाने के लायक नही है,
नाम हरी का हृदय से ना भूलो,
ये भुलाने के काबिल नही है,
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला है,
ये गंवाने के काबिल नही है।।
नाम हरि का हृदय से ना भूलो,
ये भुलाने के काबिल नही है,
बड़ी मुश्किल से नर तन मिला है,
ये गंवाने के काबिल नही है।।