चौताल :
चौताल माने चार ताल इसलिए इसे चौताल कहा जाता हैं
इसमें कहरवा दीपचंदी तिरपित और अंत में धमार मुख्य ताल है , चौताल उत्तर भारत का बहुत प्रसिद्ध गीत है जिसे फाल्गुन माह में गाया जाता है
मोरा कौन हरे दुःख पीरा
बिना रघुवीरा,लगे अषाढ़ उमड़ घन गरजे
सावन गरुण गंभीरा,
अरे सावन गरुण गंभीरा
अरे हाँ सावन गरुण गंभीरा,
उड़े गुलाल लाल भये बादर,
सावन गरुण गंभीरा,
अरे सावन गरुण गंभीरा
अरे हाँ सावन गरुण गंभीरा,
भादवं बिजुरी तड़ा – तड़ तडके -4
वै आये चहुँ दिशि नीरा,
बिना रघुवीरा,
मोरा कौन हरे दुःख पीरा
बिना रघुवीरा,
लगे कुआर उमड़ भये बरखा
कार्तिक निर्मल नीरा,
अगहन ओस सतावन लागे,
मोरा थर – थर काँपे शरीरा,
बिना रघुवीरा,
मोरा कौन हरे दुःख पीरा
बिना रघुवीरा,
अरे पूस मास जाड़ा जोर होत है
माघे मकर महीना,फागुन फगुआ चैत संग खेलें
वै तो केहि पर फेंके अबीरा,
बिना रघुवीरा,
मोरा कौन हरे दुःख पीरा
बिना रघुवीरा